-
-
-
-
-
-
आज चलो इन बहारों का
आज चलो इन बहारों का कुछ युँही सफ़र कर लें हम करके इज़हारे महोबत जमीसे पग ऊपर कर लें हम
-
आज की वास्तविकता, मेरे प्यारे भैया …
धागे को थोड़ा सजा देने से वो राखी नहीं कहलाती राखी तब कहलाती है वो जब तुम्हारी कलाई पे सजती है
-
-
कैसा कमाल करती है
ये ऑनलाइन वाली लाइट, देखो कैसा कमाल करती है, चोरी छुपे से उलटा, क्या है…? यही तो सवाल करती है,
-
-
अब तो दिलकी बात
अब तो दिलकी बात तुम्हे कहने से डर लगता है कही तुम रूठ गये तो फिर जीने से डर लगता है.
-
-
-
-
-
-
-
जिस शिद्दत से लगे हो खुदा ढूंढने
जिस शिद्दत से लगे हो, तुम ख़ुदा ढुंढ़ने में माहिर बनगए समजलो, अब तुम बुरा ढूंढने में
-
-
-
मेरे इश्क का रिश्ता
मेरे इश्क़ का रिश्ता उस और से गुज़र रहा हैं, में बेजान सी सड़क हूँ वो रेल सा चल रहा हैं ,
-
-
नारी की कश्मकश : अकल्पित
४५ से ५० की उम्र एक नारी के लिये बहुत ही कश्मकश भरी होती है। इस उम्र के दौरान वो अपने मासिक धर्म से भी निवृत्त होने लगती हैं और उम्र के एक नए पड़ाव
-
महाभारत : पांडवो का वनवास और अज्ञातवास
जब से इन्द्रप्रस्थ भोज के लिए कौरव और सबको आमंत्रित किया गया था, तब से ही इन्द्रप्रस्थ की चकाचोंध देखकर दोर्योधन हक्काबक्का सा रह गया था। खांडववन को इन्द्रप्रस्थ बनाया जा सकता था इसकी कल्पना भी शायद दुर्योधन ने नही की थी।