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धूप में ठंडी छाँव जैसा
भूलाकर अपने गम वो खुशियाँ देता है यार को बनकर नादाँ “प्यार”को जिन्दा रखता वो प्यार है.
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देखके तुमको ना देखा
आसाँ नहीं था वफ़ा नीभाना,पर बेवफाई कर ना शके दिलकी बातें दिलमें रखकर इश्कमें अपना साँझा दिया
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तेरी मौजुदगी का मेरी
अब मिलेंगे तो ना जाने देंगे युँ बाहरसे आपको सुनाएगे हमारी तनहाई के जो किस्से हजार है
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तूम अगर सामने हो
तूम अगर सामने हो मेरे, तो हर जगह ख़ास है. वरना जैसे, समंदरके सामने पानी और प्यास है.
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छोड़ दे सारी फ़िक्रें
छोड़ दे सारी फ़िक्रें, नए साज़ सजा लें हम कल का भरोसा क्या? आओ प्रीत सजा लें हम