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धूप में ठंडी छाँव जैसा
भूलाकर अपने गम वो खुशियाँ देता है यार को बनकर नादाँ “प्यार”को जिन्दा रखता वो प्यार है.
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देखके तुमको ना देखा
आसाँ नहीं था वफ़ा नीभाना,पर बेवफाई कर ना शके दिलकी बातें दिलमें रखकर इश्कमें अपना साँझा दिया
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तेरी मौजुदगी का मेरी
अब मिलेंगे तो ना जाने देंगे युँ बाहरसे आपको सुनाएगे हमारी तनहाई के जो किस्से हजार है
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મારી દુનિયા
આજ તો મારા અસ્તિત્વ નો અહેસાસ, મારી ઓળખ… મારુ તારા મા તારી બની શ્ર્વશ્ર્વું, તારા નામ સાથે ભળવું.
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