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मेरी चुप्पीमें झाँखकर देख
तुम अगर आना चाहो तो पुकारलो वही कही दूरसे ही, हम गुम है तेरी यादोंके सायें तले, यही इस्तेहार निकले
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मुझमें अबभी कुछ बाकी
चलते रहना जीवन है, हार जीत का आना बारी बारी है थाम लेना हाथ उनका जिन आंखोमें इंसानियत पानी है
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माँ बहन, बेटी-पत्नी
माँ बहन, बेटी-पत्नी, न जाने तेरे है कितने नाम इन सब के बीच, दबी मिलेंगी तू औरत गुमनाम.
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मशरूफियत का दम
जब भी गीरे बड़ा लुफ्त उठाये, उठे जब शानसे धक्का लगता है दोस्ती को छोडो उसक़ी,वो दुश्मनो की गिनती तक नहीं आता है
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भूलने का बहाना
भूलने का बहाना करते, हम भूल सकते तो अच्छा था. कभी खुद को खोते, सोचते ना मिलते तो अच्छा था.
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भंवर में ज्यादा लोग डूब जाते हैं
ना शामिल करो बदनशीबो की गिनती में कभी हमारा नाम सिर्फ आशिक ही जमाने में हर वक्त कुछ नया कर जाते है
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ज़िंदगी तुम रोज़ बदलती हो
कभी बनकर रंगीन ख़्वाब आँखों में झलकतेी हो कभी रंगहीन आँसू की तरहा आँखों से छलकती हो.
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बरसो के प्यासे दिल
शीशमहल में जलती रही शमा उम्रके हर पड़ाव तक, अब गिरते मीनारों को फिर हाथ लगाने आया
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बरसो के प्यासे दिल की प्यास
कम्बख्त क़यामत के बाद आज महोब्बत का गाना रोने आया हमने भी तोबा करली जब वो सुनाने आया मुद्दतो के बाद
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बड़ी राज़दाँ और अजीब
इन्तज़ार में अगर नींद आ गई उसपर भी इल्जाम लगे कोई रस्म निभानी नहीं आती उसे राहे महोबत की
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ना मिलते तो अच्छा था ……
भूलने का बहाना करते, हम भूल सकते तो अच्छा था कभी खुद को खोते, सोचते ना मिलते तो अच्छा था