Sultan Singh


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  • તો એ મૌનને નામ આપવું છે શું કામ…?

    તો એ મૌનને નામ આપવું છે શું કામ…?

    જો સબંધ પામવાથી પરે છે આપણો, તો આ સંબંધ સાક્ષ રાખવો જ છે શું કામ…?

  • कुछ वक्त का अहसास तो बह जाता है

    कुछ वक्त का अहसास तो बह जाता है

    कुछ वक्त का अहसास तो बह जाता है, बस चाय ही वो नशा है जो रह जाता है,

  • कैसा कमाल करती है

    कैसा कमाल करती है

    ये ऑनलाइन वाली लाइट, देखो कैसा कमाल करती है, चोरी छुपे से उलटा, क्या है…? यही तो सवाल करती है,

  • હવે ક્યા ફાવે છે

    હવે ક્યા ફાવે છે

    જાણે દૂર ક્યાંક લઈ આવે છે, જોવા તો મળી જાય છે હવે,

  • बड़ा ही अजीब सवाल

    बड़ा ही अजीब सवाल

    बस उसके कुछ कहने का इंतजार करता हु। चुपचाप, मौन ओर बिना कुछ सवाल किए।

  • કોઈ આપી નહિ શકે

    કોઈ આપી નહિ શકે

    ઓ માણસ આ રસ્તો તું કદી માપી નહિ શકે, આટલું અંતર ઝડપથી હવે તું કાપી નહિ શકે,

  • સાંભળને જીવન

    સાંભળને જીવન

    કહું છું સાંભળને જીવન, રાતની વાતનો એ દોર હજુ અધૂરો છે,

  • આવી એકવાર લડી જા…

    આવી એકવાર લડી જા…

    ભલે બે-ચાર ડગલાં જ ચાલ અને પછી તું પડી જા, શક્ય ન હોયને બોલવું, તો આવી એકવાર લડી જા,

  • पहरेदार खड़े है

    पहरेदार खड़े है

    हमसे मिलने की वो फिराक में है, लेकिन उस पर पहरे दार कड़े है।

  • કોશિશ સહજ કેમ થાય

    કોશિશ સહજ કેમ થાય

    હવે ભૂલવાની કોશિશે સહજ કેમ થાય, યાદોમાં જ્યાં શ્વાસનો જ અતિરેક થાય,

  • નિશાનો તમે જ દાગ્યા છે

    નિશાનો તમે જ દાગ્યા છે

    કઈ કેટલાય ભ્રમો ભાગ્યા છે, દિલ એમનેમ થોડા લાગ્યા છે,

  • कुछ बातों को सिर्फ…

    कुछ बातों को सिर्फ…

    कुछ बातों को सिर्फ बात रहने दो, गुजरी रातो को सिर्फ रात रहने दो,

  • महाभारत : पांडवो का वनवास और अज्ञातवास

    महाभारत : पांडवो का वनवास और अज्ञातवास

    जब से इन्द्रप्रस्थ भोज के लिए कौरव और सबको आमंत्रित किया गया था, तब से ही इन्द्रप्रस्थ की चकाचोंध देखकर दोर्योधन हक्काबक्का सा रह गया था। खांडववन को इन्द्रप्रस्थ बनाया जा सकता था इसकी कल्पना भी शायद दुर्योधन ने नही की थी।

  • महाभारत : इन्द्रप्रस्थ की स्थापना

    महाभारत : इन्द्रप्रस्थ की स्थापना

    लाक्षागृह षड्यंत्र के बाद पुरे भारत वर्ष में पांडवो के मृत्यु के समाचार फेल चुके थे। दुर्योधन और शकुनी भी इसी बात से निश्चिंत थे, तब तक जब तक द्रौपदी का स्वयंवर नही हुआ।

  • महाभारत : द्रौपदी स्वयंवर

    महाभारत : द्रौपदी स्वयंवर

    महाभारत कई पर्वो और प्रसंगों का साक्ष्य रहा हे। कुछ इसी प्रकार इसका प्रवाह भी इसी तरह बदलता संभलता रहा हे। लाक्षागृह वाले प्रसंग के बाद जो नया अध्याय पांडवो के जीवन में शुरू होने वाला था,

  • महाभारत : लक्ष्याग्रह षडयंत्र

    महाभारत : लक्ष्याग्रह षडयंत्र

    दुर्योधन कतई यह नहीं चाहता था कि युधिष्ठिर हस्तिनापुर का राजा बने, अतः उसने अपने पिता धृतराष्ट्र से कहा की “पिताजी यदि एक बार युधिष्ठिर को राज सिंहासन प्राप्त हो गया, तो यह राज्य सदा के लिये पाण्डवों के वंश का हो जायेगा

  • महाभारत : एकलव्य कि गुरुभक्ति

    महाभारत : एकलव्य कि गुरुभक्ति

    एकलव्य को सदा ही एक उपेक्षित शिष्य के स्वरूप इतिहास यद् करता आया हे। यहाँ तक की आज भी हम शिक्षा के कई तरह के वार्तालाप के दरमियान एकलव्य और गुरु द्रोण के द्रष्टांत दर्शाते रहेते हे।

  • महाभारत : कर्ण का जन्म

    महाभारत : कर्ण का जन्म

    कर्ण का लालन पालन बड़े स्नेह में होता रहा। उसका एक छोटा भाई भी था, जो कर्ण के बाद राधा की कोख से जन्मा था। कुमार अवास्था से ही कर्ण की रुचि अपने पिता अधिरथ के समान रथ चलाने कि बजाय युद्धकला में अधिक थी। उसने इसी वजह से युध्ध कला में अभ्यास शुरू किया।

  • महाभारत : पाण्डु बने हस्तिनापुर के राजा

    महाभारत : पाण्डु बने हस्तिनापुर के राजा

    ऋषि-मुनियों की बात सुन कर पाण्डु अपनी पत्नी से बोले, हे कुन्ती अब लगता हे की मेरा जन्म लेना ही वृथा हो रहा है। क्योंकि सन्तानहीन व्यक्ति पितृ-ऋण, ऋषि-ऋण, देव-ऋण तथा मनुष्य-ऋण से मुक्ति नहीं पा सकता। क्या तुम पुत्र प्राप्ति के लिये मेरी सहायता कर सकती हो?

  • महाभारत : धृतराष्ट्र, पाण्डु ओर विदुर का जन्म

    महाभारत : धृतराष्ट्र, पाण्डु ओर विदुर का जन्म

    माता सत्यवती को यह सब सुन कर अत्यन्त दुःख हुआ। लेकिन वह इस बारे में कुछ नही कर शकती थी। अचानक ही उन्हें अपने पुत्र वेदव्यास का स्मरण हो आया। सत्यवती के अंतरमन से स्मरण करते ही वेदव्यास स्वयं वहाँ उपस्थित हो गये।

  • महाभारत : द्रोणाचार्य ओर कृपाचार्य

    महाभारत : द्रोणाचार्य ओर कृपाचार्य

    गौतम ऋषि के पुत्र का नाम शरद्वान था। ओर सबसे महत्व पूर्ण की उनका जन्म बाणों के साथ ही हुआ था। इसका वर्णन हमे महाभारत के आदि पर्व में मिलता है। जन्म से ही वे कुछ अलग व्यक्तित्व के धनी थे। किसी कारण से उन्हें वेदाभ्यास में अन्य बालको की तुलना में जरा भी रुचि…

  • महाभारत : कुरु वंश की उतपत्ति

    महाभारत : कुरु वंश की उतपत्ति

    लेकिन हमारा इतिहास यानी कि महाभारत की कहानी तब शास्त्र से वर्णित है, जब से कुरु के वंश में शान्तनु का जन्म हुआ था। ओर इन्ही शान्तनु से गंगा नन्दन भीष्म उत्पन्न हुए है।

  • Film Riview : તું છે ને…?

    Film Riview : તું છે ને…?

    ફિલ્મની સ્ટોરી બવ જ સરસ છે. માતા અને પુત્રનો જે પ્રેમ છે, એણે આંખો ભીની કરાવે છે. વાસ્તવમાં ભલે કોઈ જાણતું હોય, કે ન જાણતું હોય. પણ આ ફિલ્મમાં એ દરેક માની વ્યથા અને એક મેસેજને પ્રસ્તુત કર્યો છે.

  • ચોરાસી : આંદોલન લડત અને પ્રેમના સબંધો વચ્ચે જુલતો નફરતનો ઝંઝાવાત

    ચોરાસી : આંદોલન લડત અને પ્રેમના સબંધો વચ્ચે જુલતો નફરતનો ઝંઝાવાત

    પ્રેમચંદ, મેઘાણી કે શહાદત હસન મંટો મળવા આ યુગમાં મુશ્કેલ તો ઠીક, પણ આવનાર સમયમાં સાવ અશક્ય જ થઈ જશે એમાં નવાઈ નથી. કારણ કે આજના યુગમાં વાસ્તવિક સ્થિતિ દર્શાવી જેમણે આઈનો બતાવી દિધો,


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