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एक बुलबुला पानीका
ख़ुद को खोके रोते बच्चोको हँसता मानता हूँ, ना किसी हाथोमें पलभर भी रुकना जानता हूँ .
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અક્ષૌહિણી સેના
આમાં ચારેય અંગોમાં ૨૧૮૭૦૦ સૈનિક બરાબર બરાબર સંખ્યામાં વહેંચાયેલા હતાં. પ્રત્યેક અંગનો એક પ્રમુખ પણ હોતો હતો. પત્તિ, સેનામુખ, ગુલ્મ તથા ગણના નાયક અધિરથી હોતાં હતાં.
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खयालो में खोई हुई सी
गुमनाम, हसीन ओर खयालो में खोई हुई सी, महोबत न सही, इकरार-ए-इश्क से गिरी हुई सी,
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आज चलो इन बहारों का
आज चलो इन बहारों का कुछ युँही सफ़र कर लें हम करके इज़हारे महोबत जमीसे पग ऊपर कर लें हम
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आज की वास्तविकता, मेरे प्यारे भैया …
धागे को थोड़ा सजा देने से वो राखी नहीं कहलाती राखी तब कहलाती है वो जब तुम्हारी कलाई पे सजती है
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कैसा कमाल करती है
ये ऑनलाइन वाली लाइट, देखो कैसा कमाल करती है, चोरी छुपे से उलटा, क्या है…? यही तो सवाल करती है,
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