ना जाने आज क्यों हवा भारी लगती है
कही पूरब दिशा से ठंडी हवा चलती है,
रात भर बर्फ की बारिस गिरती रही
हर काँपती साँस लड़खड़ाती लगती है
सन्नाटेमे सिर्फ पवन का शोर गूंजता है
होंठ लरजते है आँखोंमें नमी रहती है
रात भर का जला चाँद भी थका हारा है
चुराकर चाँदनी फिर बर्फ चमकती है
सूर्य की प्रतिक्षा है फिर तुझे पुकारा है,
दिलका दिया और मनकी आरती है
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’